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कैसी हो आगामी सरकार:एक सामाजिक चर्चा (contest)

""मनन से ""
""मनन से ""
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देखिये भारत एक लोकतान्त्रिक देश हैं ,जहाँ लोगो का उतना ही हक़ है जितना हमारी शासन व्यवस्था का , पर बात करें आगामी सरकार की तो ये फैसला भारत की समूची जनता करेगी जिसने शायद अभी तक अपना नया नेता तय कर भी लिया होगा . हम लोकतंत्र की परिभाषा के अनुसार चले तो – वह पूरी परिभाषा ही जनता को प्रकट करती है , क्योंकि इस परिभाषा के अनुरूप यह देश जनता का है , यहाँ की सियासत जनता के ही लिए काम करेगी , पर यह जनता ही द्वारा तय किया जायेगा .
पर फिर भी ये नेता सियासत की चाह में फिरसे जनता को अपने झूठे वायदों से जनता का दिल जीतने में कामयाब होंगे , जिसके फलस्वरूप फिरसे हमे उसी गर्त की गहरायी जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है , पर जो भी हो हमे इस देश के भविष्य के लिए फिरसे ही सही किसी न किसी को इस देश के सर्वोच्च पद पर लाना ही होगा , पर अपनी चिंतन शक्ति से ही अपना बहुमूल्य मत जिसको भी दें , चिंतन कर के ही देवें ..
सब तरफ सिर्फ एक हताशा ही दिखाई पड़ती है , क्योंकि इन दस वर्षों में जो भी हुआ है , उसके बाद सियासत के इन बहरूपियों पर भरोसा करना कठिन हो सकता है , पर अभी तक हम आखिर अपना कीमती मत किसी न किसी को देते ही आ रहे हैं न !!!, इस बार और सही , ज्यादा से ज्यादा क्या होगा ?? अभी वर्त्तमान में जो देश के हालात है वो कौन से अच्छे है ??

तो इस बार जो भी आये वो या तो कुछ देकर जायेगा या सबकुछ लेकर जायेगा , क्योंकि यदि हम सरकार बना सकते हैं तो सरकार को मिटाने का भी उतना ही अधिकार हमारे पास है .अब ये तो बात हुई हमारे कीमती मत की पर असल में सरकार होनी कैसी चाहिए ???

इस बात को भी हम लोगो को ही अंज़ाम में बदलना है , अभी देश के सभी नेताओं की नज़र युवाओं पर टिकी हुई है , क्योंकि 18 से 25 वर्ष के काफी युवा भी इस बार अपने मत का उपयोग करेंगे और कुछ तो पहली बार भी अपने मत का उपयोग करने वाले हैं .पर जो भी हो युवा अपने विचार से ही अपने मत का दोहन करें , क्योंकि हमारे लिए इन 10 वर्षों में ऐसा क्या हो गया , जिसके फलस्वरूप हम ये कह सकें की अब अरे !! उसको या उस नेता में दम है उसको ही इस बार अपना मत देवें , पर ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है , सभी व्यक्ति किसी न किसी को विश्वासपात्र समझकर ही अपना मत देता है , पर समझ में तो जब आता है , जब वह नेता अपने वायदों से मुकरता है या जब हमे एहसास होता है , कि यह अमूल्य मत अब एक विश्वासघात बनकर सामने आ रहा है , और हम बेसहारा , लाचार यही गुहार में पाँच वर्ष व्यतीत कर देते हैं कि …
अब अगले चुनाव आने वाले हैं और मैं इस व्यक्ति को अपना मत नहीं दूंगा , अब इस बीच आप एक नया नेता चुन लेते हैं , पर क्या आपको अंदाज़ा होता है कि ये व्यक्ति आपसे हमदर्दी रखेगा या दुबारा वही होगा जो पहले हुआ …तो इन सब बातों का अर्थ सिर्फ इतना है , कि अपना मत केवल उस व्यक्ति को देवें जो उस मत के लायक अपना वर्चस्व रखता हो , और नहीं तो आपके पास चुनाव आयोग के द्वारा उपलब्ध करायी हुई एक सुविधा आपके समक्ष है , वह है व्यक्ति को (रिजेक्ट) करने का अधिकार , अपनी evm मशीन के द्वारा.
इस बार की सरकार का चेहरा बिलकुल विपरीत रहे तो इस देश के हिसाब से सही होगा , मेरा मतलब है की अभी तक इन 10 वर्षों में जो भी घटित हुआ , वह न केवल हमने सुना वल्कि कुछ घटनाओं के अंश हम स्वयं भी होंगे ..
तो सरकार का विपरीत होने से आशय यही था कि , सरकार जैसी भी बने , जो भी बने इस बार इस गुस्साई जनता के हक़ में उसे कार्य करना होगा , भले ही वह कार्य किसी स्वार्थ रूप में ही क्यों न हो ..
हम नहीं भूले वो “”कामनवेल्थ घोटाला “” क्या पता क्या हुआ उन भ्रष्टाचारियों का ??, नहीं भूले उन शहीद सैनकों की कुर्बानी , नहीं भूले वह दिल्ली में हुयी दुखद घटना , और न जाने क्या-क्या??? हम कुछ नहीं भूले पर जो भी इन वर्षों में हुआ वह दुखद हुआ . हम अपनी एक गुहार मात्र लगा सकते हैं , एक अच्छी कामना की साथ सरकार बना सकते हैं , फिरसे एक बार जोखिम उठाकर देख सकते हैं , पर होना अगर यही है तो ऐसी स्वतंत्रता , ऐसे अधिकारों का कोई महत्व नहीं है . ऐसे में हम एक लोकतंत्र राष्ट्र की स्थापना नहीं , वल्कि एकतंत्र की स्थापना करेंगे.. अगर विगत वर्षों की बात करें तो , ऐसा कुछ तो नहीं हुआ जिससे हम केह सकें कि , जनता को फिरसे यही चाहिए , वल्कि इसके विपरीत ये दस वर्ष दुखद घटनाओं से भरे जरूर निकले हैं .
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युवा सतर्क रहें , सोचे ,समझे और फिर अपना कीमती मत किसी भी नेता को देने का सोचे , में जनता हूँ आप में स्फूर्ति है , अभी खून में उबाला है , पर यह उबाला पहले ठंडा कर लें और फिर अपने बहुमूल्य मत का उपयोग करें , क्योंकि हम अभी उस दौर में हैं जिस दौर में हम किसी भी विज्ञापन या किसी भी लुभावने ब्रांड की तरफ बहुत जल्दी आकर्षित होते हैं , तो यहाँ आकर्षण में न पड़कर अपना स्वयं विचार और अपने बड़ों का मार्गदर्शन जरूर लें , जी हाँ ये कोई छोटी – मोटी बात नहीं है ,यह स्वयं के भविष्य की बात है तभी हम देश का भविष्य तय कर सकते हैं ..युवाओं के जोश को देखते हुए उन पर चार पंक्तियाँ..

“” जोश मे हैं युवा ,पर होश नहीं .


उत्साह मे हैं युवा ,पर अरदास नहीं .


भविष्य हैं युवा , पर सही वर्तमान नहीं .


अग्रसर हैं युवा , पर सही लक्ष्य नहीं .


अंगारे हैं युवा ,पर अभी जरूरत नहीं .


आकर्षण मे हैं युवा , जिसका अभी वक्त नहीं .


भटके हैं युवा , पर कोई प्रोत्साहन नहीं .


आडम्बरों मे खोये हैं युवा , जिनका कोई अंत नहीं .


चारों ओर फैले हैं युवा , पर सही राह नहीं .


जिंदा हैं युवा , पर लगता है जीने की चाह नहीं “”


आगामी सरकार जैसी भी हो अपना कीमती , बहुमूल्य मत सोच विचारकर देवें..पहले स्वयं में विचार करें ,कभी भी कमरसियल्स(विज्ञापनो) और किसी प्रकार की हवा बाज़ी में न आकर , अपना विचार स्वयं कर और व्यक्तिगत चर्चाओं के साथ एक अच्छी , व्यवस्थित , सबसे मत्वपूर्ण बात एक लोकतान्त्रिक , जनतांत्रिक , सरकार को इस बार लोकसभा में आने का मौका दे..
एक अच्छी सरकार के लिए , कि सरकार जनता से क्या कह रही है ?? एक लोकतंत्र के अनुसार सरकार कैसी हो ..पर जो होना होगा वह तो होकर रहेगा , हम सिर्फ अपना मत देंगे , अपने विचार रखेंगे ,सरकार भी बनाएंगे सब कुछ हम करेंगे , लेकिन सरकार सिर्फ हमसे दूर रहेगी..
पर देखिये एक अच्छी सरकार हमसे क्या कहती है ??

“”नया दौर है , नयी क्रांति मे मिलके आगाज़ ये करना है .


संपर्क जुड़ा रहे हमारा , बस यही बात करना है .


ये युवा प्राचार हमारा , हमे पूरे देश मे फैलाना है .


अमल करें हम जितना , बस उतना ही पाना है .


करना है वो सबकुछ , जो अभी तक अधूरा है .


प्रेम जनता का मिले , नहीं कोई और तमन्ना है .


मिलके हम सबको , अब सारी समस्याएँ दूर करना है .


नहीं कोई छोटा होगा , और ना ही कोई बड़ा होगा


बस मिलकर साथ चलना है .


दुआएं हो साथ आपकी , हमे हर मुकाम छूना है .””

आदित्य उपाध्याय
जागरण जंक्शन

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