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रोमांच : जीवन का (कविता)

""मनन से ""
""मनन से ""
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समुन्दर को पार करने का मजा , कुछ और होगा ..

शिखर पर चढ़ने का मज़ा , कुछ और होगा …

जो बदलेगा किनारा , तो मिजाज़ कुछ और होगा ..

ऊँचाई पर पहुँचकर , जहाँ को देखने का

नज़ारा कुछ और होगा …

कभी साकित बैठकर , ख्यालों मे डूबने का ,

आनंद कुछ और होगा …

कभी सुनसान रास्तों पर , चलने का तजुर्बा कुछ और होगा …

हर एक मजहब में , इबादत करने का सलीखा

कुछ और होगा …

बग़ावत कर दोस्तों से , फिर जुड़ने का

शमाँ कुछ और होगा …

यहाँ – वहाँ सैर करने के बाद , घर पर चैन से बैठने का

आनंद कुछ और होगा ..

भले ही खुश रहो , लेकिन आफ़त से निज़ात पाने का

एहसास कुछ और होगा …

बेग़म किसी से दो पल बातें कर लो , उसके जाने के बाद , उसकी विदाई का

फिर अंदाज़ा होगा …

किसी के साथ सुख में रहने का , लेकिन दुःख को सुख में बदलने का ,

किसी को तुम पर एतबार होगा …

कभी अपनों से बिछड़ने का , ग़म कुछ और होगा ..

कभी यश प्राप्ति पर , अपनों को तुम पर नाज़ होगा ..

लेकिन सफल होगा वही , जिसका चरित्र बलवान होगा …

किसी के इश्क में , फ़ना होने का

एहसास कुछ और होगा …

लेकिन वियोग का , श्रृंगार कुछ और होगा …

एतबार होगा उस पर मगर ,

वक्त का ये पलटवार कुछ और होगा ..

जब तक कैद हैं , ये साँसे …

तेरे जिस्म में ..

तब तक सब रोमांचक होगा ,

लेकिन इसके बाद तू खुद में एक रहस्य होगा …

रहस्य होगा ……

आदित्य उपाध्याय
(जागरण जंक्शन पर )
धन्यवाद ..

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