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समुन्दर को पार करने का मजा , कुछ और होगा ..
शिखर पर चढ़ने का मज़ा , कुछ और होगा …
जो बदलेगा किनारा , तो मिजाज़ कुछ और होगा ..
ऊँचाई पर पहुँचकर , जहाँ को देखने का
नज़ारा कुछ और होगा …
कभी साकित बैठकर , ख्यालों मे डूबने का ,
आनंद कुछ और होगा …
कभी सुनसान रास्तों पर , चलने का तजुर्बा कुछ और होगा …
हर एक मजहब में , इबादत करने का सलीखा
कुछ और होगा …
बग़ावत कर दोस्तों से , फिर जुड़ने का
शमाँ कुछ और होगा …
यहाँ – वहाँ सैर करने के बाद , घर पर चैन से बैठने का
आनंद कुछ और होगा ..
भले ही खुश रहो , लेकिन आफ़त से निज़ात पाने का
एहसास कुछ और होगा …
बेग़म किसी से दो पल बातें कर लो , उसके जाने के बाद , उसकी विदाई का
फिर अंदाज़ा होगा …
किसी के साथ सुख में रहने का , लेकिन दुःख को सुख में बदलने का ,
किसी को तुम पर एतबार होगा …
कभी अपनों से बिछड़ने का , ग़म कुछ और होगा ..
कभी यश प्राप्ति पर , अपनों को तुम पर नाज़ होगा ..
लेकिन सफल होगा वही , जिसका चरित्र बलवान होगा …
किसी के इश्क में , फ़ना होने का
एहसास कुछ और होगा …
लेकिन वियोग का , श्रृंगार कुछ और होगा …
एतबार होगा उस पर मगर ,
वक्त का ये पलटवार कुछ और होगा ..
जब तक कैद हैं , ये साँसे …
तेरे जिस्म में ..
तब तक सब रोमांचक होगा ,
लेकिन इसके बाद तू खुद में एक रहस्य होगा …
रहस्य होगा ……
आदित्य उपाध्याय
(जागरण जंक्शन पर )
धन्यवाद ..
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