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“”अभिलाषा है तुमसे “”

""मनन से ""
""मनन से ""
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कहा है…..–एक संकल्प मैंने किया ,एक तुम मुझसे करो…

एक बुलंद ह्रदय सा, एक विशाल मन करो….

एक कल्पना मैंने की, साकार उसे तुम करो….

एक विचलन तैयार मैंने किया ,स्थित उसे तुम करो…

एक आरम्भ मैंने किया,अंजाम मैं तुम बदल दो……

एक प्रयास मैंने किया, सफल तुम होकर दिखा दो…..

जो अँधेरा मुझे मिला , उजाला तुम बनाकर दिखा दो…

जो कर्त्तव्य मुझे मिला,जिम्मेवारी से तुम निभा दो…

एक संघर्ष मैंने किया , एक तुम करके दिखा दो….

नफरत मुझे मिली ,प्यार देकर तुम दिखा दो……

एक समुदाय जिसमे मैं जिया , समाज तुम बनाकर दिखा दो….

अन्याय मुझे मिला ,न्याय पाकर तुम दिखा दो…

बिखरे जो मुझसे,उन्हें जोड़कर तुम दिखा दो…..

करके कुछ एसा ,करके कुछ एसा

इस जहाँ को बता दो….इस जहाँ को बता दो…

(जरुर इस पर गौर करे)

आदित्य उपाध्याय

धन्यवाद

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