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सा रिश्ता बनते दिख रहा था . वो ट्रेनिंग लगभग छ: महीने कि थी . हमारी दोस्ती उस अटूट बंधन मैं बंधती दिख रही थी , जो शायद प्रेम का एक
पवित्र नाता कहलाता है . इस दौरान हम सुबह ट्रेनिंग ख़त्म करते और रात के समय हमारी मुलाकात होती थी . कश्मीर का मौसम ठंडा होने के
कारण हम आग जलाकर उसके चारो ओरे बैठा करते थे , लेकिन केवल वहां हम दोनों अकेले तो थे नहीं , बल्कि हमारे साथ कुछ और भी ट्रेनी थे ,
जो हमारे ग्रुप मैं थे .वक्त यूँ ही निकलता जा रहा था . तो मैंने एक दी सोच ही लिया कि इस प्रेम के रिश्ते को आगे बढ़ाने के लिए रात के समय
जब हम बैठा करते है , उस समय मैं अमिता से बात कर लूँगा और मैंने अमिता को मिलने के लिए कहा , ताकि उससे इस बारे मैं खुल के बात कर
सकूँ . ज्यों ज्यों समय नज़दीक आते गया वैसे ही मेरी धड़कन तेज होने लगी .
तब अमिता वहां आई हमारे बीच थोड़ी देर बैठी , फिर मैंने उनको इशारे से थोडा आगे चलने को कहा अमिता ने झट से मेरी बात मान ली और मेरे
साथ कदम से कदम मिलाकर चलने लगी .
थोड़ी देर इधर उधर कि बातें करने के बाद मैं सीधा अपने मुद्दे पर आ गया और उस दौरान मैंने अपनी दिल की सारी बातें उन्हें बता ही दी . उन्होंने
जबाब मैं अपनी प्यारी सी मुस्कान मुझे दे दी , और उसी समय मैंने उन्हें अपने कलेजे से लगा लिया .
पर मैंने उनके सामने उसी दौरान एक प्रस्ताव भी रखा कि , अमिता आप आर्मी ज्वाइन नहीं करेंगी . और फिर क्या उन्होंने बिना कोई सवाल जवाब
किये बगेर इस प्रस्ताव को भी स्वीकार किया .
तो ये तो थी मेरे और अमिता के प्यार कि एक प्यारी सी शुरुआत . पर शायद अब एक कमी मेरे ज़हन मैं जरूर कभी न कभी आ ही ही जाती है कि
, अमिता को मुझसे दूर करने का फैसला अब गलत लगने लगा है क्योंकि पहले वो मेरे साथ , तो रहती थी , उन्हें एक पल देख तो लेता था , पर
उन्हें आर्मी से दूर करने का फैसला शायद मेरे ही लिए दुखदायी हो जायेगा , एसा मैंने तो कभी नहीं सोचा था .
अब प्रेम मैं रस आ ही गया तो इस प्रेम को भावनाओं मैं और बिखेरने के लिए एक कविता पेश करना चाहता हूँ .
कब मिलन हमारा , होगा अब बस यहीं है आस ..
तन्हाईयाँ कुछ भी नहीं , बस तेरी कमी है आज .
.
तुझसे बिछ्डके , अब समझ लिया है सब कुछ …
अब दूर रहकर भी , दूर न रहूँगा सच-मुच ..
ज़िन्दगी मैं कोई कमी नहीं , बस तेरे साथ मैं जीत है ..
और अब तुझसे मिलने मैं ही प्रीत है ..
सोचता हूँ मन मैं , तुझे गले लगा लूँ ..
आज ही मैं तुझको अपने पास बुला लूँ ..
पर जितना आसान ये कहना है , उतना ही बेबस ये दिल मेरा है ..
ये बेबसी तो देखो किसी से कही भी नहीं जाती .
.
संदेशा तेरी सुरक्षा का , पाकर सुकून हो जाता है ..
और फिर तेरी यादों का सफ़र शुरू हो जाता है ..धन्यवाद ,
आदित्य उपाध्याय
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