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“”ट्रेनिंग के दरमियाँ “”:मुलाकातों का सफ़र ( contest)

""मनन से ""
""मनन से ""
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हम एक दुसरे से आर्मी कि ट्रेनिंग के दौरान मिले , पता नहीं ये मिलना हमे कहाँ ले गया पता ही नहीं चल पाया . हम दोनों का एक अलग

सा रिश्ता बनते दिख रहा था . वो ट्रेनिंग लगभग छ: महीने कि थी . हमारी दोस्ती उस अटूट बंधन मैं बंधती दिख रही थी , जो शायद प्रेम का एक

पवित्र नाता कहलाता है . इस दौरान हम सुबह ट्रेनिंग ख़त्म करते और रात के समय हमारी मुलाकात होती थी . कश्मीर का मौसम ठंडा होने के

कारण हम आग जलाकर उसके चारो ओरे बैठा करते थे , लेकिन केवल वहां हम दोनों अकेले तो थे नहीं , बल्कि हमारे साथ कुछ और भी ट्रेनी थे ,

जो हमारे ग्रुप मैं थे .वक्त यूँ ही निकलता जा रहा था . तो मैंने एक दी सोच ही लिया कि इस प्रेम के रिश्ते को आगे बढ़ाने के लिए रात के समय

जब हम बैठा करते है , उस समय मैं अमिता से बात कर लूँगा और मैंने अमिता को मिलने के लिए कहा , ताकि उससे इस बारे मैं खुल के बात कर

सकूँ . ज्यों ज्यों समय नज़दीक आते गया वैसे ही मेरी धड़कन तेज होने लगी .

तब अमिता वहां आई हमारे बीच थोड़ी देर बैठी , फिर मैंने उनको इशारे से थोडा आगे चलने को कहा अमिता ने झट से मेरी बात मान ली और मेरे

साथ कदम से कदम मिलाकर चलने लगी .

थोड़ी देर इधर उधर कि बातें करने के बाद मैं सीधा अपने मुद्दे पर आ गया और उस दौरान मैंने अपनी दिल की सारी बातें उन्हें बता ही दी . उन्होंने

जबाब मैं अपनी प्यारी सी मुस्कान मुझे दे दी , और उसी समय मैंने उन्हें अपने कलेजे से लगा लिया .

पर मैंने उनके सामने उसी दौरान एक प्रस्ताव भी रखा कि , अमिता आप आर्मी ज्वाइन नहीं करेंगी . और फिर क्या उन्होंने बिना कोई सवाल जवाब

किये बगेर इस प्रस्ताव को भी स्वीकार किया .

तो ये तो थी मेरे और अमिता के प्यार कि एक प्यारी सी शुरुआत . पर शायद अब एक कमी मेरे ज़हन मैं जरूर कभी न कभी आ ही ही जाती है कि

, अमिता को मुझसे दूर करने का फैसला अब गलत लगने लगा है क्योंकि पहले वो मेरे साथ , तो रहती थी , उन्हें एक पल देख तो लेता था , पर

उन्हें आर्मी से दूर करने का फैसला शायद मेरे ही लिए दुखदायी हो जायेगा , एसा मैंने तो कभी नहीं सोचा था .

अब प्रेम मैं रस आ ही गया तो इस प्रेम को भावनाओं मैं और बिखेरने के लिए एक कविता पेश करना चाहता हूँ .

“”पल गुजर रहें हैं , यूँ ही दिन-रात .

कब मिलन हमारा , होगा अब बस यहीं है आस ..

तन्हाईयाँ कुछ भी नहीं , बस तेरी कमी है आज .
.
मिलने को तुझसे , बेक़रार हूँ दिन – रात ..

तुझसे बिछ्डके , अब समझ लिया है सब कुछ …

अब दूर रहकर भी , दूर न रहूँगा सच-मुच ..

ज़िन्दगी मैं कोई कमी नहीं , बस तेरे साथ मैं जीत है ..

और अब तुझसे मिलने मैं ही प्रीत है ..

सोचता हूँ मन मैं , तुझे गले लगा लूँ ..

आज ही मैं तुझको अपने पास बुला लूँ ..

पर जितना आसान ये कहना है , उतना ही बेबस ये दिल मेरा है ..

ये बेबसी तो देखो किसी से कही भी नहीं जाती .
.
और ये तेरे प्यार कि बेचेनी हमसे सही नहीं जाती ..

संदेशा तेरी सुरक्षा का , पाकर सुकून हो जाता है ..

और फिर तेरी यादों का सफ़र शुरू हो जाता है ..

धन्यवाद ,
आदित्य उपाध्याय

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