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प्रेम की वास्तविकता (contest)

""मनन से ""
""मनन से ""
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प्रेम एक ऐसी अभिव्यक्ति है जिसे समझना आवश्यक है . क्योंकि आज की बात करें तो हम प्रेम का सिर्फ शाब्दिक अर्थ याद है .

हमे वह भावनाएँ स्मरण नहीं है जो प्रेम के फलस्वरूप प्राप्त होती है , आज हम केवल प्रेम को एक मज़ाक का विषय समझने लगे हैं . और

महत्वपूर्ण रूप से आज प्रेम एक हवस रुपी जाल में घिर चुका है , क्योंकि व्यक्ति बड़ी सहजता से प्रेम कर तो लेता है पर आज की बात करें तो

निभाता वहीँ तक है जब तक उसकी वासना खत्म नहीं हो जाती , ये चीज़ आज के समय में अधिक देखी जा सकती है , कैसे व्यक्ति उस प्रेम

के पावन बंधन को बड़ी सहजता से हवस के रूप में किसी का उपयोग कर रहा है .. और दूसरी ओर ऐसे कुछिक व्यक्ति ही हैं जो इस बंधन को

लिहाज़ा समझते भी हैं और बड़ी सुंदरता से निभाते भी हैं .
तो दोनों ही चीज़े हैं कुछ अच्छा भी है तो बुरा भी है . चलिए ये तो बात थी प्रेम कि दशा की , पर मैं इसको कविता के माध्यम से आपको जरूर

बताना चाहता हूँ …

“””  प्रेम””

” एक – दूसरे की फिकर है , प्रेम .

आशाओं की डगर है , प्रेम .

विश्वास की एक डोर है , प्रेम .

माँ की ममता है , प्रेम .

पिता का एहसास है , प्रेम .

किसी का समर्थन है , प्रेम .

किसी की चिंता है , प्रेम .

किसी की अच्छी कामना है , प्रेम .

किसी के दुःख को अपनाने में है , प्रेम .

बुराई पर जीत है , प्रेम .

एक अनंत परिभाषा है , प्रेम .

बस ढूंढने की अभिलाषा है , प्रेम .””

धन्यवाद

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